Santhal Janjati
झारखण्ड एक जनजाति बहुल राज्य है , इसलिए जनजातियों के विषय में पढ़ना अति आवश्यक हो जाता है | राज्य में JSSC & JPSC के द्वारा जितने भी परीक्षाओं का आयोजन होता है उनमें जनजातियों पर अधिक प्रश्न पूछे जाते है |
राज्य में कुल 32 जनजातियाँ है इनमे से 8 आदिम जनजाति की श्रेणी में आता है | संथाल जनजाति Santhal janjati के बारे आज पढेंगे और फिर Santhal Janjati Mock Test भी लेंगे | JSSC & JPSC आदि परीक्षाओं के लिए संथाल जनजाति पढना अति आवश्यक है तो आईये जानते है संथाल जनजाति के बारे में |
सामान्य जानकारी
- संथाल झारखण्ड की प्रमुख जनजाति है।
- झारखण्ड की जनजाति में सबसे अधिक संख्या संथालों की है।
- प्रजातीय दृष्टि से संथाल को प्रोटो-ऑस्ट्रोलॉयड श्रेणी में रखा गया है।
- प्रजातीय और भाषिक दृष्टि से संथाल जनजाति आस्ट्रिक जनजाति के बहुत नजदीक है।
- इनकी बहुलता के कारण ही झारखण्ड राज्य का उत्तर-पूर्वी भाग संथाल परगना कहलाता है।
- राजमहल पहाड़ियों में इनके निवास स्थल को दामिन-ए-कोह कहा जाता है।
- झारखण्ड में संथालों का मुख्य निवास स्थल संथाल परगना है।
निवास सघनता एवं गोत्र
- यह जनजाति ‘संथाल परगना’ के अतिरिक्त हजारीबाग, बोकारो, गिरिडीह, चतरा, रांची, सिंहभूम, धनबाद, लातेहार तथा पलामू में पर भी पायी जाती है।
- संथालों में कुल 12 गोत्र पाये जाते हैं। ये हैं- हांसदा, मुर्मू, हेम्ब्रम, किस्कू, मरांडी, सोरेन, बास्के, टुडु, पौड़िया, बेसरा, चोंडे और बेदिया।
पर्व त्यौहार एवं धार्मिक जानकारी
- इनके के त्योहारों का प्रारंभ आषाढ़ महीना से होता है।
- इनके प्रमुख त्योहार बाहा/बा, ऐरोक, सरहुल, करम, बंधना, हरियाड, जापाड, सोहराई, सकरात, माघसिम और हरिहारसिम हैं।
- संथालों का उत्सवप्रिय त्योहार सोहराई फसल कटने के समय मनाया जाता है।
- संथालों के सबसे बड़े देवता को सिंगबोंगा या ठाकुर कहा जाता है।
- संथाल समाज में ठाकुरजी को विश्व का विधाता माना जाता है।
- संथालों का दूसरा प्रमुख देवता मरांग बुरू है।
- संथालों के मुख्य ग्राम-देवता जाहेर-एरो है, जिसका निवास स्थान साल वृक्षों से घिरा ‘जाहेर थान’ होता है।
- नायके संथाल गांव का धार्मिक प्रधान होता है।
- संथाल गांव की पंचायतें मांझीथान में बैठती हैं।
- मांझी संथाल गांव का प्रधान होता है।
बिट्लाह
- बिट्लाह संथाल समाज में सबसे कठोर सजा है।
- यह एक तरह का सामाजिक बहिष्कार है।
- संथाल जनजाति संथाली बोली बोलती है, जिसका संबंध आस्ट्रो – एशियाई भाषा परिवार से है। संथाली बोली की लिपि ओलचिकी है।
92वें संविधान संशोधन (2003) के द्वारा संथाली भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल कर लिया गया है।
- संथाल परिवार का कर्ता-धर्ता व प्रधान पिता होता है।
- इनके समाज चार ‘हडो’ (वर्ग/वर्ण)- किस्कू हड (राजा), मुर्मू हड (पुजारी), सोरेन हड (सिपाही) और मरुडी हड (कृषक) में विभक्त है।
सन्थालों में युवागृह को घोटुल कहा जाता है।
विवाह प्रथा
- संथाल जनजाति एक अन्तर्विवाही जनजाति है, जिनके बीच समगोत्रीय विवाह वर्जित है।
- प्रायः संथाल में एक विवाह की प्रथा है, किन्तु विशेष परिस्थिति में दूसरी पत्नी रखने की छूट है।
- संथाल समाज में बाल-विवाह की प्रथा नहीं है।
- संथालों में विवाह समारोह को बापला कहा जाता है।
- संथालों में आठ प्रकार के विवाह प्रचलित हैं। ये हैं- किरिंग बापला, किरिंग जबाई, टुनकी दिपिल बापला, घर की जंवाई, निर्बोलोक, इतुत, सांगा और सेवा विवाह।
किरिंग बापला सर्वाधिक प्रचलित विवाह है।
- यह विवाह माता-पिता द्वारा ‘अगुवा’ (मध्यस्थ) के माध्यम से तय किया जाता है।
- संथालों में वर-पक्ष की ओर से कन्या-पक्ष को दिया जाने वाला वधु-मूल्य पोन कहलाता है।
- इस जनजाति में शव को जलाने और दफनाने दोनों प्रकार की प्रथाएं हैं।
- संथालों का मुख्य पेशा कृषि है।