Deoghar Mandir ( देवघर मंदिर )
Deoghar कई नामों से जाना जाता है लोग बैद्यनाथ धाम, बैजनाथ धाम, बाबा धाम , बाबा नगरी एवं अन्य नामों से बुलाते है । Deoghar का शाब्दिक अर्थ देवताओं का घर / निवास स्थल होता है। इसके अन्य प्रचलित नाम है जैसे – बैद्यनाथ धाम (बैजनाथ धाम), बाबा धाम और देवघर
- देवघर मंदिर (Deoghar Mandir), झारखण्ड राज्य के देवघर जिले में स्थित है ।
- देवघर जिले की पहचान बाबा नगरी के रूप में प्रसिद्ध है ।
- यह स्थान भारत के 12 ज्योतिर्लिंग स्थलों में से एक है, जो शिव के सबसे पवित्र निवास स्थान हैं।
- बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को “कामना लिंग” भी कहा जाता हैं ।
- यह एक सिद्धपीठ भी है।
यहां माता सती का हृदय गिरा था इसलिय इसे हृदयपीठ भी कहा जाता है।
- सावन के माह में यहाँ का श्रावणी मेला लगता है जो विश्व विख्यात है।
- लाखों शिव भक्त श्रावण के महीने में पूजा के लिए सुल्तानगंज से देवघर तक 105 किलोमीटर की दूरी पैदल चल कर गंगा जल ले कर भगवान शिव पर जल चढाते है ।
इस लेख के माध्यम से हम deoghar mandir के बारे में जानेंगे । Baba dham deoghar कहाँ स्थित है ।Deoghar baba dham किसलिए प्रसिद्ध है । Devghar ka mandir के निर्माण से जुडी रोचक बाते भी जानेंगे । Jharkhand temples की बात करूँ तो सबसे प्रसिद्ध mandiron में deoghar mandir का नाम आता है यह एक jyotirlinga है जो Jharkhand में स्थित एकमात्र jyotirlinga है । Baidyanath dham deoghar जब आये तो यहाँ का प्रसिद्ध peda जरुर ले जाये । This temple is the only jyotirlinga in Jharkhand. Deoghar jyotirlinga झारखण्ड और इसके आस पास के राज्यों का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है । Deoghar baidyanath dham जाना हर व्यक्ति अपना सौभाग्य समझता है Vaidyanath jyotirlinga Jharkhand सावन के महीने में खचा खच लोगों भरा होता है baidyanath Jharkhand ही नहीं अपितु बिहार , उत्तर प्रदेश , ओडिशा आदि राज्यों के के लिए एक धार्मिक पर्यटन का केंद्र है इसलिए Devghar baijnath dham की यात्रा जीवन में जरुर करें । Baidyanath jyotirlinga in deoghar Jharkhand is famous for its Shrawan Mela. Baidyanath deoghar is connected with Rail, road and Airport. If you want to reach baba baidyanath dham deoghar from anywhere then you may come by Flight to Deoghar Airport. Baijnath dham deoghar is also well connected to rail network. Deoghar dharamshala near mandir is available .Deoghar baba baidyanath dham is very secret place for all hindus. There is a website of deoghar mandir for online information.
पौराणिक कथा
- पौराणिक कथा के अनुसार रावण भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए हिमालय पर तप कर रहे थे ।
- रावण ने लंका में शिवलिंग को स्थापित करने के लिये उसे ले जाने की आज्ञा माँगी।
- रावण ने घोर तपस्या करके वरदान के रूप में यह शिवलिंग प्राप्त किया ।
- भगवान शिव ने उसे इस शर्त पर ज्योतिर्लिंग सौंप दिया कि यदि वह कभी भी ज्योतिर्लिंग को जमीन पर रखेगा, तो उसे दोबारा उठाना संभव नहीं होगा।
- उनकी यात्रा के दौरान, बाधा उत्पन्न करने के इरादे से, देवताओं ने भगवान बरुण ने रावण के पेट में प्रवेश किया और इसके प्रभाव से रावण को पेशाब का अनुभव हुआ ।
- उन्होंने अपना पुष्पक विमान नीचे उतारा और जोयतिर्लिंग को पास के एक झुंड के लड़के को दे दिया जो भगवान विष्णु के भेष में था।
- प्राकृतिक आह्वान से मुक्त होने के बाद जब रावण ज्योर्तिलिंग को लेने आया, तो वह यह देखकर आश्चर्यचकित रह गया कि झुंड का बच्चा गायब हो गया था और जयतिर्लिंग जमीन पर रख दिया गया था।
- शर्तों के अनुसार रावण बहुत प्रयास करने के बाद भी जयतिर्लिंग को नहीं उठा सका। फलस्वरूप अत्यंत क्रोध से उसने लिंग पर अपने अंगूठे से प्रहार किया और चला गया।
- इसी कारण से मूल जयतिर्लिंग में इसका मध्य भाग विकृत था।
Baba Baidyanath Dham History in Hindi बैद्यनाथ धाम का इतिहास
- ऐसा ज्ञात है की मंदिर के कुछ हिस्सों का पुनर्निर्माण 1596 में राजा पूरन मल द्वारा किया गया था, जो गिद्दौर के महाराजा के पूर्वज थे।
- देवघर का यह पूरा क्षेत्र गिधौर के राजाओं के शासन में था |
- ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार मैथिल ब्राह्मण यहां 13वीं शताब्दी के अंत में और 14वीं शताब्दी की शुरुआत में मिथिला से आए थे ।
- 1757 में अंग्रेजों द्वारा प्लासी की लड़ाई जीतने के बाद, ईस्ट इंडिया कंपनी ने देवघर और मंदिर का प्रशासन अपने हाथ में ले लिया।
मन्दिर के मुख्य आकर्षण | देवघर मंदिर का रहस्य
- यह भारत का एकमात्र तीर्थ स्थल है जहां ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ दोनों एक साथ हैं।
- यहाँ माता सती का हृदय गिरा था तथा ज्योतिर्लिंग रूप मे महादेव का विराज मान होना एक दिव्य संगम है।
- एक ही परिसर में 22 मंदिर है बाबा बैद्यनाथ मंदिर, शक्ति पीठ माँ पार्वती मंदिर के अलावे 20 अन्य मंदिर स्थित हैं ।
आसपास दर्शनीय स्थल
त्रिकुट पर्वत
- देवघर से 16 किलोमीटर दूर दुमका रोड पर एक खूबसूरत पर्वत त्रिकूट स्थित है।
- इस पहाड़ पर बहुत सारी गुफाएं और झरनें हैं।
नौलखा मंदिर
- देवघर के बाहरी हिस्से में स्थित यह मंदिर अपने वास्तुशिल्प की खूबसूरती के लिए जाना जाता है।
- इस मंदिर का निर्माण बालानन्द ब्रह्मचारी के एक अनुयायी ने किया था जो शहर से 8 किलोमीटर दूर तपोवन में तपस्या करते थे।
- तपोवन भी मंदिरों और गुफाओं से सजा एक आकर्षक स्थल है।
नंदन पर्वत
- नन्दन पर्वत की महत्ता यहां बने मंदिरों के झुंड के कारण है जो विभिन्न देवों को समर्पित हैं।
- पहाड़ की चोटी पर कुंड भी है जहां लोग पिकनिक मनाने आते हैं।
सत्संग आश्रम
- ठाकुर अनुकूलचंद्र के अनुयायियों के लिए यह स्थान धार्मिक आस्था का प्रतीक है।
- सर्व धर्म मंदिर के अलावा यहां पर एक संग्रहालय और चिड़ियाघर भी है।
पाथरोल काली माता का मंदिर
- मधुपुर में एक प्राचीन सुंदर काली मंदिर है, जिसे “पथरोल काली माता मंदिर” के नाम से जाना जाता है।
- इस मंदिर का निर्माण राजा दिग्विजय सिंह ने लगभग 6 से 7 शताब्दी पहले करवाया था।
- मुख्य मंदिर के करीब नौ और मंदिर हैं, जहां भक्त दर्शन कर सकते हैं।
- यहाँ की मान्यता है कि जो मांगो मनोकामना पूर्ण होती है।