Jharkhand ki mitti

Soil of  jharkhand in hindi 2023

 

जमीन के उपरी भाग में पाया जाने वाला भुरभुरा और मुलायम तत्व जिसमे पेंड़-पौधे और मिटटी के घर बने होते है उसे ही हम सामान्य अर्थ में मिट्टी कहते है |

निर्माण प्रक्रिया की दृष्टि से झारखण्ड में पाई जाने वाली मिट्टी अवशिष्ट (लाल) है | लाल मिट्टी झारखण्ड और छोटानागपुर प्रदेश के 90% भागों में यह मिट्टी पाई जाती है

अवशिष्ट मिट्टी (Re-sidual soil) पठारी इलाकों की जमींन में खनिजों एवं चट्टानों के टूटने फूटने के फलस्वरूप निर्मित है |

झारखण्ड में मिट्टी के 6 प्रकार झारखण्ड है।  There are six type of Soil in Jharkhand.

  1. लाल मिट्टी
  2. काली मिट्टी
  3. लैटराइट मिट्टी
  4. अभ्रकमूलक मिट्टी
  5. रेतली मिट्टी 
  6. जलोढ़ मिट्टी
लाल मिट्टी

विशेषता –

  • झारखण्ड के अधिकांश क्षेत्रों में लाल मिट्टी पाई जाती है।
  • यह राज्य की सर्वप्रमुख मिट्टी है।
  • छोटानागपुर के लगभग 90% क्षेत्र में यह मिट्टी पायी जाती है।
  • यह नीस एवं ग्रेनाइट चट्टानों के अवशेष से बनी है, इसलिए कम उपजाऊ होती है।
  • फेरिक ऑक्साइड तथा बॉक्साइट की अधिकता के कारण इसका रंग लाल होता है |
  • ज्वार, बाजरा, रागी, गन्ना, मूंगफली आदि की खेती के लिए उपयुक्त होती है |
  • दामोदर घाटी का गोंडवाना क्षेत्र तथा राजमहल का उच्च भूमि को छोड़कर सम्पूर्ण छोटानागपुर क्षेत्र में लाल मिट्टी की अधिकता है |
  • राज्य के हजारीबाग व कोडरमा क्षेत्र में अभ्रकमूलक लाल मिट्टी तथा सिहभूम व धनबाद के कुछ भागों में लाल-काली मिश्रित मिट्टी पाई जाती है|
अभ्रक मूल की लाल मिट्टी –

विशेषता –

  • कोडरमा, झुमरी तिलैया तथा हजारीबाग के क्षेत्रों में पाई जाती है
  • यह मिट्टी उपजाऊ है परन्तु जल की कमी के कारण इसमें कृषि कार्य संभव नही हो पाता है
  • अभ्रक के खानों के समीप यह मिट्टी पाई जाती है
  •  इस मिट्टी का रंग हल्का गुलाबी होता है, तथा कुछ स्थानों पर नमी की कमी के कारण इसका रंग पिला हो जाता है
  • कोडरमा, झुमरी तिलैया, मांडू, और बडकागांव के क्षेत्रों में इस मिट्टी के पाए जाने के कारण इस क्षेत्र को अभ्रक पट्टी के नाम से जाना जाता है
काली मिट्टी :   
  •  काले एवं भूरे रंग की यह मिट्टी राजमहल के पहाड़ी क्षेत्र में पाई जाती है।
  •  यह कपास की खेती के लिए उपयुक्त है
  •  इसे रेगुन मिट्टी भी कहते है|
  • यह बेसाल्ट के अपक्षय से बनी है।
  • यह मिट्टी धान एवं चने की खेती के लिए उपयुक्त होती है।
लैटेराइट मिट्टी :
  • यह गहरे लाल रंग की होती है।
  • इसमें बहुत कंकड़ होते हैं।
  •  राँची के पश्चिमी क्षेत्र, पलामू के दक्षिणी क्षेत्र, संथाल परगना के पूर्वी राजमहल के क्षेत्र, सिंहभूम के बालभूम के दक्षिणी पूर्वी क्षेत्र में ऐसी ही मिट्टी पाई जाती है।
  •  यह मिट्टी कृषि की दृष्टि से उपयुक्त नहीं होती है, क्योंकि इस मिट्टी की उर्वरता अति निम्न होती है।
अभ्रकमूलक मिट्टी :
  • अभ्रक की खानों से अपक्षय के कारण उसके समीप के क्षेत्रों में ऐसी मिट्टी पाई जाती है।
  •  इसका रंग हल्का गुलाबी होता है।
  •  कोडरमा, मांडू, बड़कागाँव, झुमरी तिलैया आदि क्षेत्रों में ऐसी ही मिट्टी पाई जाती है।
रेतीली मिट्टी :
  •  इस तरह की मिट्टी का रंग लाल एवं पीले का मिश्रण होता है।
  •  हजारीबाग के पूर्व एवं धनबाद में ऐसी ही मिट्टी पाई जाती है।
  •  ऐसी मिट्टी मोटे अनाजों की खेती के लिए बहुत उपयुक्त होती है।

 

जलोढ़ मिट्टी :
  • यह झारखण्ड में पायी जानेवाली मिट्टियों में सबसे नवीन मिट्टी है।

  राज्य में जलोढ़ मिट्टी के दोनों प्रकार निम्नलिखित :-

    •  ‘भांगर’ ( पुरातन जलोढ़ )
    •  ‘खादर’ ( नवीन जलोढ़ )

“साहिबगंज के उतर और उत्तर पश्चिम भाग में ‘भांगर’ ( पुरातन जलोढ़ ) और पूर्वी भाग एवं पाकुड़ जिले के क्षेत्रों में ‘खादर’ ( नवीन जलोढ़ ) मिट्टी पाए जाते है”

  • इस तरह की मिट्टी राज्य के उत्तरी सीमावर्ती भागों एवं संथाल परगना के पूर्वी किनारों ( साहेबगंज पाकुड़ के पूर्वी किनारों ) में पाई जाती है।
  •  इस तरह की मिट्टी बहुत उपजाऊ होती है।
  • ऐसी मिट्टी धान एवं गेहूँ की खेती के लिए बहुत उपयुक्त होती है।

 

BG

Jharkhand Pedia

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