झारखण्ड में 1857 के विद्रोह
- झारखण्ड में 1857 के विद्रोह की शुरूआत 12 जून, 1857 को रोहिणी गाँव (देवघर) से हुयी थी।
- रोहिणी गाँव अजय नदी के तट पर बसा हुआ था ।
Q) झारखण्ड में 1857 के विद्रोह का प्रारंभ कब हुआ था ?
a) 12 June 1857 b) 30 July 1857 c) 2 Oct 1857 d) 2 Nov 1857
Q) झारखण्ड में 1857 के विद्रोह का प्रारंभ कहाँ से हुआ था ?
a) 12 June 1857 b) 30 July 1857 c) 2 Oct 1857 d) 2 Nov 1857
- 32वीं रेजिमेंट के Commanding Officer मैकडोनाल्ड थे।
- मेजर मैकडोनाल्ड शाम को अपने बरामदे में लेफ्टिनेंट सर नार्मन लेस्ली और सहायक सर्जन मिस्टर ग्रांट चाय पी रहे थे , उसी दौरान तीन सिपाहियों ने हमला कर दिया , जिससे कारण मौके पर ही लेफ्टिनेंट नॉर्मन लेस्ली मारा गया और ग्रांट और मैकडोनाल्ड घायल हो गया।
- इस तरह से 12 जून, 1857 को रोहिणी गाँव में पदस्थापित 32वीं रेजिमेंट के सैनिकों द्वारा लेफ्टिनेंट नॉर्मन लेस्ली की हत्या के बाद यह विद्रोह प्रारंभ हुआ।
- रोहिणी गाँव स्थित देशी स्थल सेना के 32वीं रेजिमेंट की कमान मैकडोनाल्ड के पास थी ।
Q) रोहिणी किस राजिंमेंट का मुख्यालय था ?
Answer :-
Q) 32वीं रेजिमेंट की कमान किसके पास थी ?
Answer :-
Q) विद्रोही सनिकों द्वारा रोहिणी ग्राम में किस लेफ्टिनेंट की हत्या कर दी गयी थी ?
Answer :-
- इसके बाद यह इस विद्रोह का प्रसार 30 जुलाई, 1857 को हजारीबाग और रामगढ़ में भी हो गया।
- 1857 के विद्रोह के समय हजारीबाग का उपायुक्त कप्तान सिम्पसन था।
- हजारीबाग में विद्रोहिओं का नेता सुरेन्द्र साही था ।
Q) 1857 के विद्रोह का प्रारंभ रामगढ और हजारीबाग में कब हुआ था ?
Answer :-
Q) हजारीबाग में विद्रोहिओं का नेता कौन था ।
Answer :-
- इस विद्रोह के समय रामगढ़ बटालियन का मुख्यालय राँची में अवस्थित था ।
- 1 अगस्त, 1857 ई. को ले. ग्राहम के अधीन सैनिकों ने डोरंडा (राँची) में विद्रोह कर दिया।
- इनका नेतृत्व जमादार माधव सिंह और सूबेदार नादिर अली खां कर रहे थे।
- विद्रोहियों ने सैनिक टुकड़ी में शामिल काफी साजो-सामानों को अपने कब्जे में कर लिया।
- 2 अगस्त, 1857 ई. को पूरे राँची-डोरंडा पर माधव सिंह, जयमंगल पांडेय और नादिर अली खां का कब्जा हो गया।
- डोरंडा के सैनिक विद्रोहियों ने पांडेय गणपत राय को अपना सेनापति और विश्वनाथ शाही को अपना नेता चुन लिया।
Q ) डोरंडा के सैनिक विद्रोहियों में निम्न में से कौन सामिल नहीं था ?
- माधव सिंह
- जयमंगल पांडेय
- नादिर अली खां
- जगतपाल सिंह
- विश्वनाथ शाहदेव ने मुक्तवाहिनी सेना की स्थापना की और इस सेना ने 1857 के विद्रोह में अविस्मरणीय योगदान दिया।
- विश्वनाथ शाहदेव के अतिरिक्त गणपत राय व शेख भिखारी इस सेना के प्रमुख सैनिक थे।
- मुक्तवाहिनी सेना को 1857 के विद्रोह में बाबु कुँवर सिंह का मार्गदर्शन प्राप्त था जो बिहार में 1857 के विद्रोह को नेतृत्व प्रदान कर रहे थे।
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दो देशद्रोहियों लोहरदगा के जमींदार महेश नारायण शाही तथा विश्वनाथ दुबे की गुप्त सूचना के आधार पर अंग्रेज मेजर नेशन ने लोहरदगा के निकट कंकरंग घाट के जंगलों से ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव और पाण्डेय गणपतराय को 30 मार्च 1858 को गिरफ्तार करने में सफल हुआ।
- 8 जनवरी, 1858 को इस आंदोलन के प्रमुख नेता शेख भिखारी (उमराँव सिंह का दीवान) तथा उमराँव सिंह को चुटूपालू घाटी में फाँसी दे दी गयी।
- 16 अप्रैल 1858 को विश्वनाथ शाहदेव और 21 अप्रैल 1858 को गणपत राय को राँची जिला स्कूल के मुख्य द्वार के समीप कदम्ब के पेड़ पर कमिश्नर डाल्टन के आदेशानुसार फाँसी दे दी गई।
- इस विद्रोह के दौरान संपूर्ण सिंहभूम क्षेत्र में क्रातिकारियों का नेतृत्व राजा अर्जुन सिंह ने किया।
- 2 अक्टूबर, 1857 को चतरा में मेजर इंगलिश तथा जयमंगल पाण्डेय एवं नादिर अली के सैनिकों के बीच ऐतिहासिक युद्ध हुआ।
- 4 अक्टूबर, 1857 को डिप्टी कमिश्नर सिमसन की आज्ञा से ‘जयमंगल पांडेय और नादिर अली को चतरा तालाब (चतरा) के किनारे एक आम के पेड़ से लटका कर फांसी दे दी गयी।
- कमिश्नर सिमसन के आदेशानुसार 4 अक्टूबर, 1857 को जयमंगल पाण्डेय और नादिर अली को फाँसी दे दी गई।
- गणपत राय को 1857 के विद्रोह में विद्रोहियों ने अपना सेनानायक बनाया था।
- नीलांबर-पीतांबर ने पलामू क्षेत्र में 1857 के विद्रोह को नेतृत्व प्रदान किया।
- इन्होनें चेर, खरवार तथा भोक्ता को एकत्र कर सैन्य दल का गठन किया।
- 28 मार्च, 1859 को नीलांबर-पीतांबर को लेस्लीगंज (पलामू) में एक आम के पेड़ पर फांसी दे दी गई। 1857 के विद्रोह के समय हजारीबाग का उपायुक्त कप्तान सिम्पसन था तथा धनबाद का उपायुक्त कैप्टन ओकस था।